भारतीय विवाह

भारत में विवाह के पारंपरिक और आधुनिक तरीके

विवाह भारतीय समाज में एक पवित्र और महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। यह दो व्यक्तियों के बीच ही नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच भी एक अटूट बंधन का प्रतीक है। भारत में विवाह के तरीके समय के साथ बदलते रहे हैं, जहाँ पारंपरिक तरीके आज भी प्रचलित हैं, वहीं आधुनिक तरीकों ने भी अपना स्थान बना लिया है। इस लेख में हम भारत में विवाह के पारंपरिक और आधुनिक तरीकों की विस्तृत चर्चा करेंगे।

पारंपरिक विवाह

भारत में पारंपरिक विवाह के कई प्रकार और रीति-रिवाज होते हैं, जो विभिन्न समुदायों, धर्मों और क्षेत्रों के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। यहाँ हम कुछ प्रमुख पारंपरिक विवाह विधियों की चर्चा करेंगे।

1. हिंदू विवाह

हिंदू विवाह भारतीय समाज में सबसे सामान्य और प्रमुख विवाह विधि है। इसमें कई रीति-रिवाज और संस्कार शामिल होते हैं।

  • कुंडली मिलान: शादी से पहले वर और वधू की कुंडली मिलाई जाती है ताकि उनकी अनुकूलता देखी जा सके।
  • सगाई: सगाई या ‘रोका’ समारोह में दोनों परिवारों की सहमति के बाद वर-वधू की सगाई होती है।
  • हल्दी और मेहंदी: शादी के कुछ दिन पहले हल्दी और मेहंदी की रस्में होती हैं, जिसमें वर और वधू के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है और मेहंदी रचाई जाती है।
  • बारात और जयमाला: शादी के दिन वर बारात लेकर आता है और जयमाला के समय वर-वधू एक-दूसरे को माला पहनाते हैं।
  • सात फेरे: अग्नि के सात फेरे लेना हिंदू विवाह का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बाद वर-वधू एक-दूसरे के पति-पत्नी बन जाते हैं।
  • कन्यादान और सिंदूर दान: कन्यादान और सिंदूर दान हिंदू विवाह के अन्य महत्वपूर्ण संस्कार हैं।

2. मुस्लिम विवाह

मुस्लिम विवाह या ‘निकाह’ भी भारतीय समाज में एक प्रमुख विवाह विधि है, जिसमें इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।

  • निकाह नामा: निकाह से पहले वर और वधू के बीच एक कानूनी अनुबंध होता है जिसे ‘निकाह नामा’ कहा जाता है।
  • मेहर: शादी के समय वर द्वारा वधू को दिया जाने वाला तोहफा, जिसे ‘मेहर’ कहते हैं, निकाह का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • काजी की उपस्थिति: निकाह एक काजी की उपस्थिति में होता है, जो इस्लामी कानून के तहत शादी संपन्न करता है।
  • दुआ और भोजन: निकाह के बाद दुआ की जाती है और सभी मेहमानों के लिए भोजन का आयोजन होता है।

3. सिख विवाह

सिख विवाह, जिसे ‘आनंद कारज’ कहा जाता है, सिख धर्म के अनुसार होता है।

  • आनंद कारज: गुरुद्वारा में गुरुग्रंथ साहिब के सामने चार फेरे लेकर आनंद कारज की रस्म पूरी की जाती है।
  • लंगर: शादी के बाद सभी मेहमानों के लिए लंगर का आयोजन किया जाता है।

4. ईसाई विवाह

ईसाई विवाह चर्च में पादरी की उपस्थिति में होता है और इसमें बाइबल के अनुसार रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।

  • प्रार्थना और व्रत: पादरी द्वारा प्रार्थना और वर-वधू द्वारा विवाह के व्रत लिए जाते हैं।
  • रिंग सेरेमनी: वर और वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।
  • प्रणय निवेदन: पादरी द्वारा शादी की घोषणा की जाती है और सभी मेहमानों द्वारा नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया जाता है।

आधुनिक विवाह

समय के साथ-साथ भारत में शादी के तरीकों में भी बदलाव आया है।

आधुनिक विवाह विधियाँ अब पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ-साथ नवीनतम रुझानों को भी शामिल करती हैं।

1. कोर्ट मैरिज

कोर्ट मैरिज एक कानूनी विवाह है जो बिना धार्मिक रीति-रिवाजों के होता है।

इसमें केवल वर और वधू की सहमति और कानूनी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।

  • कानूनी प्रक्रिया: कोर्ट मैरिज में दोनों पक्षों को शादी के लिए रजिस्ट्रार के सामने उपस्थित होना पड़ता है और कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना होता है।
  • गवाह: दो गवाहों की उपस्थिति में विवाह संपन्न होता है।

2. डेस्टिनेशन वेडिंग

डेस्टिनेशन वेडिंग एक नया और लोकप्रिय चलन है।

जिसमें शादी किसी विशेष स्थान पर, जैसे हिल स्टेशन, समुद्र तट, या ऐतिहासिक स्थल पर आयोजित किया जाता है।

  • स्थान का चयन: वर-वधू अपने मनपसंद स्थान का चयन करते हैं जहाँ शादी समारोह आयोजित किया जाता है।
  • विशेष आयोजन: डेस्टिनेशन वेडिंग में शादी समारोह के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियाँ और इवेंट्स का आयोजन भी किया जाता है।

3. थीम वेडिंग

थीम वेडिंग एक और आधुनिक चलन है, जिसमें विवाह समारोह को किसी विशेष थीम के अनुसार सजाया और आयोजित किया जाता है।

  • थीम का चयन: वर-वधू अपनी पसंद की थीम का चयन करते हैं, जैसे रॉयल थीम, बॉलीवुड थीम, रेट्रो थीम आदि।
  • सजावट और परिधान: थीम के अनुसार सजावट और परिधानों का चयन किया जाता है।

4. इंटरकास्ट और इंटरफेथ मैरिज

आधुनिक समाज में इंटरकास्ट और इंटरफेथ मैरिज का चलन भी बढ़ा है।

जिसमें दो अलग-अलग जातियों या धर्मों के लोग शादी करते हैं।

  • सहमति और समर्थन: इन विवाहों में परिवारों की सहमति और समर्थन महत्वपूर्ण है।
  • सामंजस्य: दोनों पक्षों की संस्कृति और रीति-रिवाजों का सम्मान किया जाता है।

5. लिव-इन रिलेशनशिप

हालांकि यह विवाह का तरीका नहीं है, लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप आधुनिक भारतीय समाज में एक प्रचलित चलन बन गया है, जिसमें वर-वधू शादी के बिना ही साथ रहते हैं।

  • कानूनी स्थिति: भारतीय कानून में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता प्राप्त है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं।
  • सामाजिक स्वीकार्यता: बड़े शहरों में इस प्रकार के रिश्तों को धीरे-धीरे स्वीकार्यता मिल रही है।

निष्कर्ष

भारत में विवाह के पारंपरिक और आधुनिक तरीके दोनों ही अपनी-अपनी विशेषताओं और महत्व के साथ महत्वपूर्ण हैं।

पारंपरिक विवाह जहां रीति-रिवाजों और संस्कारों पर आधारित होते हैं, वहीं आधुनिक विवाह व्यक्तिगत इच्छाओं और नवीनतम रुझानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

दोनों प्रकार के विवाहों में महत्वपूर्ण यह है कि वे प्रेम, विश्वास, और आपसी समझ के आधार पर होने चाहिए। चाहे वह पारंपरिक हो या आधुनिक, शादी का मुख्य उद्देश्य दो व्यक्तियों और उनके परिवारों के बीच एक मजबूत और स्थायी संबंध बनाना है।

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