भारतीय शादियों में हल्दी की रस्म(Haldi Ceremony) का बहुत ही विशेष स्थान है। हल्दी की रस्म के बाद ही शादी की तैयारीयों और शादी का उल्लास अपना जोर पकड़ता है। जिसके बाद शादी वाले घरों में चहल-पहल, हर्षोल्लाष और खुशियाँ बढ़ने लगती हैं। हल्दी की रस्म(Haldi Rasam) का केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस रस्म को लाभकारी माना जाता है। हल्दी की रस्म को ‘होलदी’, ‘माँझा’ या ‘उबटन’ भी कहा जाता है। शादी(Marriage) से एक या दो दिन पहले इस रस्म का आयोजन संगीत के साथ किया जाता है। इस रस्म के दौरान दुल्हा और दुल्हन के शरीर पर हल्दी का लेप किया जाता है। इसीलिए इसे कुछ लोग “हल्दी चढ़ाना” भी कहते हैं।
हल्दी रस्म क्यों होती है?(Why is Haldi Ceremony held?)
हिन्दू धर्म के अनुसार, शादी दो व्यक्तियों के मिलन का एक पवित्र बंधन होती है। क्योंकि इससे दो नए लोग जीवनभर के लिए एक-दूसरे से जुड़ते हैं। इसीलिए शादी(Wedding) में सुख, समृद्धि, शान्ति और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देने के लिए देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। इस प्रकार के शुभ कार्यों में भगवान विष्णु का विशेष स्थान होता है। इसलिए उनके अभिषेक के लिए उनका पसंदीदा रंग पीला और हल्दी का प्रयोग किया जाता है।
यही कारण है शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है।
इसके अलावा, हल्दी रस्म के अन्य वैज्ञानिक लाभ भी है। जिनका वर्णन हम आगे करेंगे।
इसके पहले, हम हल्दी की रस्म का महत्त्व जानेंगे।
हल्दी की रस्म का महत्व(Importance of Haldi Rasam)
शादी में हल्दी की रस्म(Haldi Rasam) भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है।
यह रस्म पारंपरिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। यह माना जाता है कि हल्दी की रस्म से नकारात्मक ऊर्जा और बुरे प्रभावों से दुल्हा और दुल्हन की रक्षा होती है। इसके अलावा, हल्दी रस्म(Haldi Ceremony) पारिवारिक और सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का भी काम करती है। इस अवसर पर परिवार और मित्रजन एकत्रित होते हैं और मिलजुल कर नाच-गाने और संगीत के साथ हल्दी रस्म का आनंद लेते हैं।
हल्दी रस्म का वैज्ञानिक लाभ(Scientific benefits of Haldi Rasam)
हल्दी एक प्राकृतिक औषधि है, जो एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है।
इस प्रकार, हल्दी का लेप त्वचा को चमकदार और सुंदर बनाने में सहायक होता है। इसके साथ ही, हल्दी का उपयोग शरीर को शुद्ध करने और त्वचा की रंगत सुधारने के लिए भी किया जाता है। विवाह के पहले हल्दी लगाने से त्वचा में निखार आता है और दुल्हा-दुल्हन के चेहरे पर एक अलग ही चमक आ जाती है।
कब किया जाता है? हल्दी रस्म का आयोजन(When is Haldi Ceremony organized?)
हल्दी की रस्म(Haldi Ceremony) का आयोजन शादी से एक या दो दिन पहले किया जाता है।
आमतौर पर, इस रस्म का आयोजन दिन के समय ही किया जाता है। इस रस्म के लिए, हल्दी के अलावा चंदन, दूध, गुलाब जल और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग भी किया जाता है। परिवार के बुजुर्ग और मित्रजन हल्दी का लेप दुल्हा-दुल्हन के चेहरे, हाथों और पैरों पर लगाते हैं। इस दौरान, पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और ढोलक की थाप पर नृत्य भी किया जाता है।
यह रस्म हंसी-मजाक और मस्ती से भरी होती है, जिससे सभी को आनंद मिलता है।
निष्कर्ष(Conclusion)
हल्दी की रस्म(Haldi Ceremony) भारतीय विवाह परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। और वर्तमान समय में भी हल्दी की रस्म(Haldi Rasam) का महत्व कम नहीं हुआ है। यह सच है कि आधुनिकता के साथ-साथ इस रस्म में भी कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन इसका मूल उद्देश्य और भावना आज भी प्राचीन हैं। अब हल्दी की रस्म को और भी अधिक मनोरंजक बनाने के लिए विभिन्न हल्दी थीम और सजावट(Haldi Decoration) का उपयोग किया जाता है। शादी में हल्दी की रस्म सांस्कृतिक, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह रस्म न केवल दुल्हा-दुल्हन को शुद्ध, स्वास्थ्य और सुंदर बनाती है, बल्कि परिवार और मित्रों के बीच के रिश्तों को भी मजबूत करती है। हल्दी की रस्म के माध्यम से हम अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं और उन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं।
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