भारतीय संस्कृति में शादी को एक पवित्र और महत्त्वपूर्ण संस्कार व प्रथा है। शादी में वैसे तो बहुत सारी रस्मों को निभाया जाता है, जिनमें लगन, हल्दी, सगाई आदि शामिल हैं। लेकिन इनके आलावा, एक खास और प्रतीकात्मक रस्म होती है “जयमाला(Jaimala)”। जयमाला को वरमाला(Varmala) के नाम से भी जाना जाता है।
यह रस्म दूल्हा-दुल्हन के बीच के प्रेम, समर्पण और समानता का प्रतीक मानी जाती है।
जिसमें दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को जयमाला(Jaimala) पहनाते हैं।
इस लेख में आज हम जानेंगे कि दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को जयमाला क्यों पहनाते हैं? और जयमाला का महत्व क्या होता है?
जयमाला का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व(Historical and cultural importance of Varmala)
जयमाला की परंपरा(Jaimala Ritual) का जिक्र भारतीय पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में भी मिलता है।
जब श्री राम जी ने भरी सभा में शिव जी के धनुष को तोड़ा था।
तब सीता जी ने श्रीराम को अपना जीवनसाथी चुना और उन्होंने श्रीराम को पुष्पों की माला पहनाई थी। उसी समय से जयमाला की रस्म को शुभ माना जाता है और इसे विवाह संस्कार का एक अहम हिस्सा बनाया गया।
इसके आलावा एक और पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था।
तब समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी अपने हाथ में पुष्प माला लिए प्रकट हुई थीं।
और उन्होंने समुन्द्र मंथन से निकलकर भगवान विष्णु को वह पुष्प माला पहनाई थी।
प्रेम और स्वीकृति का प्रतीक
वरमाला(Varmala) अर्थात जयमाला की रस्म यह दर्शाती है कि दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। यह उनके बीच प्रेम, सम्मान और एक-दूसरे के प्रति समर्पण का प्रतीक है। जयमाला(Jaymala) शादी वाले दिन शादी की पहली शुरुआत होती है। वरमाला पहनाते समय दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखकर मुस्कुराते और महसूस करते हैं कि अब वे जीवनभर के लिए एक-दूसरे के सुख दुख के साथी बन रहे हैं।
समानता और साझेदारी का प्रतीक
जयमाला की रस्म(Jaimala Rasam) के माध्यम से दूल्हा और दुल्हन के द्वारा यह संदेश दिया जाता है कि वे दोनों इस रिश्ते में बराबरी के साथी हैं। और एक-दूसरे को जयमाला पहनाकर वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि वे एक दूसरे के साथ हर सुख-दुःख में समान रूप से भागीदार रहेंगे और साथ खड़े रहेंगे।
एक दूसरे का सम्मान और आदर
वरमाला(Varmala) पहनाने का एक महत्वपूर्ण अर्थ यह भी होता है कि दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आदर का भाव रखते हैं। वरमाला पहनाते समय वे एक दूसरे को सम्मान देने का वचन लेते हैं। जो उनके रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है।
जयमाला का आध्यात्मिक महत्व(Spiritual significance of Varmala)
भारतीय परंपरा में फूलों का विशेष स्थान होता है। फूलों को शुभ और पवित्र माना जाता है।
फूलों का उपयोग सुगंध और सजावट के अलावा भगवान और देवताओं के लिए माला बनाने, चढाने में भी किया जाता है। इस प्रकार, जयमाला की रस्म में फूलों का उपयोग करने का अर्थ यह भी होता है कि दूल्हा और दुल्हन अपने रिश्ते को पवित्र और सुखद बनाना चाहते हैं।
यह रस्म उनके बीच आध्यात्मिक बंधन को भी दर्शाती है।
निष्कर्ष(Conclusion)
जयमाला की रस्म केवल एक पारंपरिक रस्म और रिवाज नहीं है। बल्कि यह दूल्हा और दुल्हन के बीच के प्यार, सम्मान, समानता और समर्पण का प्रतीक है। जयमाला की रस्म उनके जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक होती है, जहां वे एक-दूसरे को जीवनभर के लिए स्वीकारते हैं और जीवनभर एक-दूसरे के जीवनसाथी बनने का वचन लेते हैं। इस प्रकार, वरमाला की रस्म(Varmala Rasam) भारतीय विवाह संस्कार का एक महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण हिस्सा है, जिसे सदियों से निभाया जा रहा है।
शादियों में वरमाला(Varmala) को काफी धूम धाम और हंसी मजाक के साथ मनाया जाता है।
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